दुनिया में एक अजीब सी चीज से सामना हुआ;
मैंने सोचा शायद वो अपनापन है;
पर वो किसी स्वार्थ का एहसास था;
उसमे भी छुपा एक अनोखा राज़ था;
उसमे भी खोट थी;
उसके बावजूद भी अकेलापन था;
उसमे भी बदनसीबी की तस्वीर थी;
उसमे भी छिपा बेगानापण था;
ना प्यार था; ना प्रीत थी;
कुछ ऐसे ही होते हैं रिश्ते....
मैंने सोचा शायद वो अपनापन है;
पर वो किसी स्वार्थ का एहसास था;
उसमे भी छुपा एक अनोखा राज़ था;
उसमे भी खोट थी;
उसके बावजूद भी अकेलापन था;
उसमे भी बदनसीबी की तस्वीर थी;
उसमे भी छिपा बेगानापण था;
ना प्यार था; ना प्रीत थी;
कुछ ऐसे ही होते हैं रिश्ते....
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