Thursday, February 17, 2011

कौन हूँ मैं !!!

कभी लहरों के बहाव पर, कभी हवा के झोंको पर, कभी आंधी के अँधेरे और कभी सन्नाटे की शांती में खुद को तलाशने की मशक्कत करना, शायद यही हूँ मैं। खुद से ही खुद को बेगाना करके, दुसरो के दुखों को महसूस करनां। प्यार की एक झलक के िलए बे-परवाही से भागते िफरना, शायद यही हूँ मैं।
िजंदगी एक ऐसा घूंट भर रही है िजसमे कडवेपन के सीवा कुछ िदखाई नहीं दे रहा, बस कुछ मीठी बूंदों का सहारा है। कल्पना के िशखर तक हर काम को पहुँचाने की मन घडंत कहािनयाँ प्रस्तुत करना ही, मन को भाता है। पर यह क्यों भूल जाता हूँ िक जाने-अनजाने में खुद को ही चोट पहुँचा रहा हूँ। मन पर बीत रही, िजंदगी में घट रही घटनाओं, आत्मा की भावना- जैसे मोितयो को िदमाग के धागे से िपरौने का ही तो काम कर रहा हूँ।
दुिनया एक अँधेरे से सनी गली है, िजसकी रौशनी तो मैंने कभी देखी ही नहीं। उस गली के हर एक चौराहे पर एक नई िजंदगी से सामना होता है। हर रात एक नई सचचाई का कड़वापण नजर आता है। बस उसी अँधेरे में िजंदगी का साथ ढँढ रहा हूँ। जज्बातों को बयान करने की आदत न ही शुरू से थी, न सीखीं और शायद आगे भी काबिलयत लाने में सटक जाऊ। शायद कभी न कभी तो कुछ कािबल हो जाऊंगा।
अक्सर एक ही सवाल िजंदगी में बार-बार आता है, िक इस कशमकश भरी भाग्दोड में, िदक्कतों भरी तलाश में - कहीं खुद को ही न भुला बेठु। पर जो इरादों को साथ लेकर चला हूँ, उन को पूरा कर सकूँ, बस इतनी सी गुज़ािरश है। न पैसे का मोह, न जीने की चाह, इतनी सी ही है मेरी ये साधारण िजंदगी.......

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